What Is Power Factor(PF ) ? पावर फैक्टर क्या है। .?
हेलो दोस्तों आज हम अपने इस ब्लॉग में इलेक्ट्रिकल की सबसे इंटरेस्टिंग टॉपिक पावर फैक्टर के बारे में डिस्कशन (चर्चा) करेंगे।
दोस्तों पावर फैक्टर दो शब्दों से मिलकर बना है , पहले शब्द का मतलब तो हम सभी जानते है पावर मतलब इलेक्ट्रिकल पावर से है जबकि फैक्टर का मतलब Rate या Ratio (अनुपात ) होता है।
जैसा की हम जानते है की इलेक्ट्रिकल में तीन टाइप की पावर होती है -
1. KVA (Supplied पावर )- यह एक Apparent (उपलब्ध ) पावर होती है याने की किसी भी मशीन तो दिया गया पावर
२. KW (Consumed पावर ) - इसका मतलब एक्टिव पावर या रियल पावर होता है याने की कोई भी मशीन जो दिए गए पावर से (Apparent पावर ) से जितना भी उपयोग कर ले मतलब consume कर ले।
3.KVAR (पावर Loss ) - यह पावर Loss (रिएक्टिव पावर ) को प्रदर्शित करता है अतः साधारण शब्दों में जैसा की उदहारण के तौर पर मान लेते है की हमारा सीलिंग फैन 80 watt का है तो यह चलने में जितनी मात्रा में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लक्स उत्पन्न करती है पावर loss के रूप में उसे हम KVAR कहते है
जैसा किहमे मालूम है की इलेक्ट्रिकल के किसी भी कैलकुलेशन के लिए हम पावर ट्रायंगल का उपयोग करते है
जैसा की हम ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते है की KW (consume पावर ) आधार (base )में रहता है ,KVA (supplied पावर ) कर्ण (hypotenuse) में रहता है जबकि KVAR ( रिएक्टिव पावर ) लंबवत (होरिजेंटल )स्थिति में रहता है।
और जो KVA और KW के बीच जो एंगल (कोण ) बनता है उसे Thita या ϴ कहा जाता है
जैसा की हम जानते है की KVA (रिएक्टिव पावर ) मैग्नेटिक फ्लक्स के रूप में व्यर्थ (डिस्चार्ज )हो जाती है। तो हम इसे पावर ट्राइएंगल से KVAR को हटा देते है -
ऊपर दिए गए चित्र के अनुसार KVAR को हटाने के बाद अब सिर्फ kva और KW बच गए तो फिर अब हम कह सकते है की KVA और KW के बीच जो एंगल (कोण ) बनता है उसे ही पावर फैक्टर कहते है
याने की किसी भी इलेक्ट्रिकल सर्किट में KW को KVA से विभाजित (kw /kva ) करने पर जो वैल्यू प्राप्त होती है वह उसकी पावर फैक्टर की होती है,और kw /kva के बीच जो एंगल बनता है उसका वैल्यू cosϴ होता है इसी वैल्यू से (cosϴ) पावर फैक्टर को सम्बोधित (Represent ) करते है
पावर फैक्टर के ratio वैल्यू है इसलिए इसकी कोई यूनिट नहीं होती लेकिन इसकी रेंज होती है और वह रेंज 0 से लेकर 1 तक होती है.
सेंटर में हमेशा १ रहता है जिसे हम यूनिटी पावर फैक्टर होता है और यही सबसे अच्छा पावर फैक्टर होता है अगर हमारे घर या ऑफिस का पावर फैक्टर 1 है तो हमारा बिजली का बिल काम आएगा।
अगर पावर फैक्टर 1 से दहिने (right ) साइड जाता है ( ०.9 से लेकर 0 तक ) तो इसे हम lagging पावर फैक्टर कहते है। lagging मतलब पीछे चलने वाला ,और जब पावर फैक्टर बायें साइड (लेफ्ट साइड ) जाता है (0. 9 से लेकर 0 तक ) तो इसे हम leading पावर फैक्टर कहते है.leading मतलब आगे चलने वाला।
अगर हमारा पावर फैक्टर बहुत ज्यादा lagging या leading है तो हमारा पावर consumption बढ़ जाता है जिसके परिणाम स्वरूप हमारा इलेक्ट्रिक का बिल बहुत जायदा आता है अतः हमें ये कोशिश करनी चाहिए की हमारा पावर फैक्टर 1 या इसके आस पास हो।
तो पावर फैक्टर 1 आने के लिए हम अपने घर में यह देखते है की कौन से उपकरण पावर फैक्टर को lead कर रहे है और कौन से lagging .
दोस्तों इलेक्ट्रिकल में तीन टाइप के लोड होते है
१. रेसिस्टिव लोड (reistive load )- इसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक बल्ब ,प्रेस (iron ),हीटर ,केतली इत्यादि आते है
2. इंडक्टिव लोड (inductive Load ) - इसके अंतर्गत कएल या वाइंडिंग वाले उपकरण आते है जैसे की ,मोटर,पंखा ,इत्यादि आते है
३. कपैसिटिव लोड (capacitive लोड )- जिस इलेक्ट्रिक उपकरण में कपैसिटर का उपयोग किया जाता है वह कपैसिटर कपैसिटिव लोड टाइप का कार्य करने लगता है।
जितने भी हमारे रेसिस्टिव लोड वाले उपकरण(बल्ब,प्रेस हीटर ) होते है उनका पावर फैक्टर हमेशा यूनिटी याने की 1 होता है , लेकिन जो हमारे इंडक्टिव लोड वाले उपकरण होते है (फैन ,मोटर ) यह हमारे पावर फैक्टर को logging करने के कारक होते है ,और जो हमारे कपैसिटिव लोड होते है वे पावर फैक्टर को लीडिंग करने का काम करते है ,अतः पावर फैक्टर को मेन्टेन करने के लिए ही हम इंडक्टिव लोड (पंखा, मोटर ) में कपैसिटिव लोड ( कपैसिटर ) लगते है जैसे की आपने देखा होगा की पंखो में कंडेंसर लगा होता है और इसी प्रकार मोटर में भी कपैसिटर का उपयोग किया जाता है।
अतः जब हमें पावर फैक्टर को lag करना हो तो हमें इंडक्टिव लोड का उपयोग करना चाहिए और lead करना हो तो कपैसिटर का उपयोग करना चाहिए , और सबसे अच्छा पावर फैक्टर वैल्यू यूनिटी (1 ) होता है
हेलो दोस्तों आज हम अपने इस ब्लॉग में इलेक्ट्रिकल की सबसे इंटरेस्टिंग टॉपिक पावर फैक्टर के बारे में डिस्कशन (चर्चा) करेंगे।
दोस्तों पावर फैक्टर दो शब्दों से मिलकर बना है , पहले शब्द का मतलब तो हम सभी जानते है पावर मतलब इलेक्ट्रिकल पावर से है जबकि फैक्टर का मतलब Rate या Ratio (अनुपात ) होता है।
जैसा की हम जानते है की इलेक्ट्रिकल में तीन टाइप की पावर होती है -
1. KVA (Supplied पावर )- यह एक Apparent (उपलब्ध ) पावर होती है याने की किसी भी मशीन तो दिया गया पावर
२. KW (Consumed पावर ) - इसका मतलब एक्टिव पावर या रियल पावर होता है याने की कोई भी मशीन जो दिए गए पावर से (Apparent पावर ) से जितना भी उपयोग कर ले मतलब consume कर ले।
3.KVAR (पावर Loss ) - यह पावर Loss (रिएक्टिव पावर ) को प्रदर्शित करता है अतः साधारण शब्दों में जैसा की उदहारण के तौर पर मान लेते है की हमारा सीलिंग फैन 80 watt का है तो यह चलने में जितनी मात्रा में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लक्स उत्पन्न करती है पावर loss के रूप में उसे हम KVAR कहते है
जैसा किहमे मालूम है की इलेक्ट्रिकल के किसी भी कैलकुलेशन के लिए हम पावर ट्रायंगल का उपयोग करते है
जैसा की हम ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते है की KW (consume पावर ) आधार (base )में रहता है ,KVA (supplied पावर ) कर्ण (hypotenuse) में रहता है जबकि KVAR ( रिएक्टिव पावर ) लंबवत (होरिजेंटल )स्थिति में रहता है।
और जो KVA और KW के बीच जो एंगल (कोण ) बनता है उसे Thita या ϴ कहा जाता है
जैसा की हम जानते है की KVA (रिएक्टिव पावर ) मैग्नेटिक फ्लक्स के रूप में व्यर्थ (डिस्चार्ज )हो जाती है। तो हम इसे पावर ट्राइएंगल से KVAR को हटा देते है -
ऊपर दिए गए चित्र के अनुसार KVAR को हटाने के बाद अब सिर्फ kva और KW बच गए तो फिर अब हम कह सकते है की KVA और KW के बीच जो एंगल (कोण ) बनता है उसे ही पावर फैक्टर कहते है
याने की किसी भी इलेक्ट्रिकल सर्किट में KW को KVA से विभाजित (kw /kva ) करने पर जो वैल्यू प्राप्त होती है वह उसकी पावर फैक्टर की होती है,और kw /kva के बीच जो एंगल बनता है उसका वैल्यू cosϴ होता है इसी वैल्यू से (cosϴ) पावर फैक्टर को सम्बोधित (Represent ) करते है
PF( cosϴ) = KW /KVA
LEADING P.F. LAGGING P.F. |
सेंटर में हमेशा १ रहता है जिसे हम यूनिटी पावर फैक्टर होता है और यही सबसे अच्छा पावर फैक्टर होता है अगर हमारे घर या ऑफिस का पावर फैक्टर 1 है तो हमारा बिजली का बिल काम आएगा।
अगर पावर फैक्टर 1 से दहिने (right ) साइड जाता है ( ०.9 से लेकर 0 तक ) तो इसे हम lagging पावर फैक्टर कहते है। lagging मतलब पीछे चलने वाला ,और जब पावर फैक्टर बायें साइड (लेफ्ट साइड ) जाता है (0. 9 से लेकर 0 तक ) तो इसे हम leading पावर फैक्टर कहते है.leading मतलब आगे चलने वाला।
अगर हमारा पावर फैक्टर बहुत ज्यादा lagging या leading है तो हमारा पावर consumption बढ़ जाता है जिसके परिणाम स्वरूप हमारा इलेक्ट्रिक का बिल बहुत जायदा आता है अतः हमें ये कोशिश करनी चाहिए की हमारा पावर फैक्टर 1 या इसके आस पास हो।
तो पावर फैक्टर 1 आने के लिए हम अपने घर में यह देखते है की कौन से उपकरण पावर फैक्टर को lead कर रहे है और कौन से lagging .
दोस्तों इलेक्ट्रिकल में तीन टाइप के लोड होते है
१. रेसिस्टिव लोड (reistive load )- इसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक बल्ब ,प्रेस (iron ),हीटर ,केतली इत्यादि आते है
2. इंडक्टिव लोड (inductive Load ) - इसके अंतर्गत कएल या वाइंडिंग वाले उपकरण आते है जैसे की ,मोटर,पंखा ,इत्यादि आते है
३. कपैसिटिव लोड (capacitive लोड )- जिस इलेक्ट्रिक उपकरण में कपैसिटर का उपयोग किया जाता है वह कपैसिटर कपैसिटिव लोड टाइप का कार्य करने लगता है।
जितने भी हमारे रेसिस्टिव लोड वाले उपकरण(बल्ब,प्रेस हीटर ) होते है उनका पावर फैक्टर हमेशा यूनिटी याने की 1 होता है , लेकिन जो हमारे इंडक्टिव लोड वाले उपकरण होते है (फैन ,मोटर ) यह हमारे पावर फैक्टर को logging करने के कारक होते है ,और जो हमारे कपैसिटिव लोड होते है वे पावर फैक्टर को लीडिंग करने का काम करते है ,अतः पावर फैक्टर को मेन्टेन करने के लिए ही हम इंडक्टिव लोड (पंखा, मोटर ) में कपैसिटिव लोड ( कपैसिटर ) लगते है जैसे की आपने देखा होगा की पंखो में कंडेंसर लगा होता है और इसी प्रकार मोटर में भी कपैसिटर का उपयोग किया जाता है।
अतः जब हमें पावर फैक्टर को lag करना हो तो हमें इंडक्टिव लोड का उपयोग करना चाहिए और lead करना हो तो कपैसिटर का उपयोग करना चाहिए , और सबसे अच्छा पावर फैक्टर वैल्यू यूनिटी (1 ) होता है
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